1 बंदर ने बदल दी कर्ज में दबी मु’स्लिम महिला की जिंदगी, बन गई करोड़पति..!

दोस्तों वैसे तो दुनिया में रोज बहुत सी घटनाएं घटती हैं। कुछ घट’नाएं दिलचस्प होती हैं, कुछ घटनाएं भावुक होती है, तो कुछ ऐसी होती हैं जो रातो रात वायरल हो जाती हैं और लोगों के दिलों पर एक निशान छोड़ जाते हैं। दोस्तों आज हम आपको जो खबर बताने जा रहे हैं मैं एक औरत और एक बंदर के बारे में हैं। आपको बता दें कि जो भी इन दोनों की कहानी के बारे में सुनता है वह इमोशनल हो जाता है।

दरअसल यह कहानी एक मुस्लिम महिला और एक बंदर जिसका नाम चुनमुन है उन दोनों से जुड़ी हैं। जानकारी के मुताबिक बात कुछ ठीक है उस मुस्लिम महिला को कोई भी संतान नहीं थी लेकिन चुनमुन यानी बंदर के कारण उस महिला की किस्मत ही बदल गई। कहा जा रहा है कि महिला को ना सिर्फ संतान मिली बल्कि उसी के साथ साथ महिला को करोड़ों की मालकिन भी बना दिया। तो चलिए जानते हैं पूरा किस्सा…!

दोस्तों आपको बता देगी है कहानी उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली की बताई जा रही है। वहां के एक मोहल्ले में रह रहे शादीशुदा दंपत्ति को कई सालों से संतान नहीं हुई थी। 2005 में महिला गली में से जा रहे मदारी से एक बंदर खरीदा था और उसका नाम चुनमुन रख दिया था। वह महिला चुनमुन को अपने बेटे की तरह पालने लग गई थी और उसका बहुत ही ज्यादा ख्याल रखती थी।

कुछ इस तरह बदली दंपत्ति की किस्मत : सूत्रों के अनुसार सबस्ती और बृजेश पर बहुत सा कर्ज हुआ करता था। आंकड़ों की बात करें तो लगभग 14 लाख रुपए का कर उनके सिर पर था। बताया जाता है कि चुनमुन के पैर जब संघ के घर में पड़े थे तो धीरे-धीरे उनका कर्जा पता ही नहीं चला कब खत्म हो गया था। इसके अलावा महिला यानी सबस्ती जो कविताएं भी लिखा करती थी उनको अपनी कविताओं को लेकर अलग-अलग कार्यकर्मों में बुलावा आने लगा और उनकी किताब भी बाजार में मशहूर होने लगी। देखते ही देखते उनकी आमदनी भी बहुत अच्छी हो गई थी।

बंदर की 2010 में करवाई शादी : जैसा कि हमने आपको बताया ही था कि यह शादीशुदा दंपत्ति का कोई भी बच्चा नहीं था। इसी के चलते शादीशुदा जोड़े ने चुनमुन बंदर को ही अपना बच्चा मान लिया था। और अनोखी बात तो यह है कि उन्होंने अपने चुनमुन की शादी भी करवाई थी। शादी उन्होंने सन 2010 में पास के ही गांव में रहने वाले अशोक यादव नाम के व्यक्ति की बंदरिया से करवाया था। और अच्छी बात तो यह है कि उन्होंने चुनमुन के नाम से एक ट्रस्ट भी बनाया जिसमें वह बिना किसी स्वार्थ के पशुओं की सेवा किया करते थे।

चुनमुन के नाम का मंदिर बनाया घर में : दोस्तों को बड़े दुख के साथ बताते हैं कि सन 2017 में 14 नवंबर को चुनमुन की मृ,त्यु हो गई थी। चुनमुन के गुजरने के बाद बस्ती ने बिल्कुल अच्छे विधि विधान से चुनमुन का अंतिम संस्कार किया था। उसके बाद सबस्ती ने चुनमुन के नाम का एक मंदिर भी बनवाया जिसमे उन्होंने श्री राम लक्ष्मण सीता मैया और चुनमुन की मूर्ति भी प्रतिष्ठित करवाई। चुनमुन के जाने के बाद जब बंदरिया अकेली पड़ गई तो बस्ती ने 2018 मैं लंपट को अपने घर ले आई थी।

घर बेचकर पशु सेवा ट्रस्ट में डाला पैसा : दोस्तों आपको बता दें कि बस्ती दिल की इतनी अच्छी थी कि उन्होंने बोला जब से हम चुनमुन को घर पर लाए थे तभी से हमें बंदरों से बहुत प्यार हो गया था। मैं चुनमुन को हनुमान जी की तरह मानती थी। सबस्ती ने बोला कि हम इतने बड़े घर का क्या करेंगे इसके अलावा हम इस बड़े घर को बेचकर एक छोटा घर ले लेंगे और जो भी पैसा बचेगा उसको चुनमुन ट्रस्ट के खाते में पशुओं की सेवा के लिए डाल देंगे।

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