दोस्तों अगर कभी हमारे साथ ऐसा हो कि हमारे खिलाफ कोई झूठी FIR दर्ज करवा दे। मैट्रिमोनियल मैटर्स में कई बार ऐसा होता भी है। तो क्या आपने सोचा है कि आप क्या करेंगे। वैसे तो इस FIR के बारे में हाई कोर्ट में क्वाश लगाई जा सकती है जिससे कि यह झूठी FIR रद्द हो जाएगी।
लेकिन सवाल यह उठता है कि जिसके खिलाफ वह FIR दर्ज हुई है उसको हुए परेशानी, हैरानी या मानहानि के लिए बदले में क्या मिला। तो आज हम आपको इन्हीं रेमेडीज के बारे में बताएंगे जिनके द्वारा आप झूठी FIR के खिलाफ कदम ले सकते हैं।
आपको बता दें कि झूठी FIR दर्ज करवाने के लिए सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के रेमेडीज होती हैं। इसका मतलब है कि आप झूठी कंप्लेन कराने वाले को सजा भी दिलवा सकते हो और उसके खिलाफ सिविल कंप्लेंट करके आपको हुई हैरानी परेशानी और मानहानि के लिए उस से कंपनसेशन का क्लेम भी मांग सकते हो।
जैसा कि हम सब जानते ही हैं अगर हमारे खिलाफ कोई झूठी कंप्लेन दर्ज भी होगी तो समाज में हमारी प्रतिष्ठा को भी चोट पहुंचेगी जिसके खिलाफ आप IPC के सेक्शन 211 और 500 के तहत उस शख्स के खिलाफ कार्यवाही करवा सकते हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि सेक्शन 211 और 500 क्या होते हैं।
सेक्शन 211 के तहत यह प्रोविजन है कि अगर कोई शख्स यह जानते हुए कि सामने वाले के ऊपर कार्रवाई करवाने के लिए कोई बुनियादी कारण नहीं है। लेकिन फिर भी वह उस पर झूठी कंप्लेन दर्ज करवा रहा है तो उस शख्स को 2 साल की सजा हो सकती है। और अगर वह झूठी कंप्लेन किसी संगीन काम के लिए है तो उसे 7 साल की सजा भी हो सकती है। यानी कि अगर झूठी कंप्लेन किसी सामान्य चीज के लिए करवाई गई है तो करने वाले शख्स को 2 साल की सजा होगी और अगर कोई बड़ी झूठी है तो उसे 7 साल की सजा भी हो सकती।
आपको बता दें कि आप सेक्शन 211 और 500 के तहत किसी आम पुलिस थाने में मामला दर्ज नहीं करवा सकते हैं। आपको उसके लिए अपने पास के मजिस्ट्रेट कोर्ट में परिवाद पेश करना होगा।
दोस्तों यह तो हुई झूठी कंप्लेन दर्ज करवाने वाले के खिलाफ लिए जाने वाले कदमों के बारे में बात लेकिन इसके बदले में आपको क्या मिला। तो इसके खिलाफ आप सिविल कंप्लेंट दर्ज करवा सकते हैं जिसके तहत आपको आपके ऊपर हुई मानहानि के लिए कंपनसेशन मिल सकता है। आप यह कंप्लेंट करके झूठी कंप्लेंट करने वाले से कंपनसेशन का क्लेम मांग सकते हैं।