शिक्षक से गांव वाले इतने प्रभावित हुए कि ट्रांसफर रुकवाने पहुंच गए जिलाधिकारी के पास

ऐसा कहा जाता है कि शिक्षक सामान्य नहीं होता। प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं। शिक्षक चाहे तो पृथ्वी पर उत्सर्ग भी ला सकता है और शिक्षक चाहे तो पृथ्वी का विनाश भी कर सकता है। हम आए दिन कई ऐसे टीचर के बारे में सुनते हैं जो अपने व्यक्तिगत जीवन को दरकिनार करते हुए विद्यार्थियों को पूरी तरह से अपनी सेवाएं समर्पित कर देते हैं।

ऐसे ही एक शिक्षक के बारे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं जिसने अपने कार्य क्षेत्र में इतना बेहतरीन कार्य किया कि जब उस शिक्षकों का ट्रांसफर होने का समय आया तब पूरा गांव उस शिक्षक का ट्रांसफर रुकवाने के लिए सीधे जिलाधिकारी कार्यालय ही पहुंच गया। आइए जानते हैं पूरी घटना के बारे में।

दोस्तों उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में स्थित नामतीचेताबगड़ के मोहरगढ़ राजकीय प्राथमिक विद्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे सुरेंद्र सिंह कार्की एक बहुत ही अच्छे शिक्षक है। इस बात का सबूत उनके आचरण से ही प्रस्तुत होता है।

उन्होंने गांव की प्राथमिक स्कूल में अपनी शिक्षा पद्धति को इस प्रकार से प्रस्तुत किया कि ना सिर्फ विद्यार्थी बल्कि विद्यार्थियों के परिजन भी उनके प्रशंसक बन गए। कार्की जी के आने के बाद स्कूल के विद्यार्थियों में भी काफी प्रगति देखने को मिली और स्कूल की विद्यार्थियों की संख्या में भी काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई।

सुरेंद्र सिंह जी के द्वारा जिन विद्यार्थियों को पढ़ाया गया उन विद्यार्थियों का पढ़ने लिखने का जज्बा इतना ज्यादा बढ़ गया कि अब यह विद्यार्थी पढ़ने लिखने में काफी होशियार बन गए हैं। लेकिन जब कार्की जी के ट्रांसफर होने का समय आया तो पूरा गांव इस बात से नाराज हो गया। गांव वाले नहीं चाहते थे कि सुरेंद्र सिंह जी उनके गांव की स्कूल को छोड़कर दूसरी जगह पर जाएं।

इसलिए पूरे गांव वालों ने इकट्ठा होकर जिलाधिकारी कार्यालय का रुख किया और जिलाधिकारी से सुरेंद्र सिंह जी के ट्रांसफर को रुकवाने की मांग की। गांव वालों की इस मांग पर भी जिलाधिकारी ने भी सोच विचार करने और सही निर्णय लेने का भरोसा गांव वालों को दिया।

अपने कार्य को लेकर सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि वे अपने अनुभव को भी विद्यार्थियों के सामने रखते हैं और विद्यार्थियों को सामाजिक जीवन जीने के लिए सभी शिक्षा देते हैं। इतना ही नहीं वे अपने विद्यार्थियों को मनोवैज्ञानिक तौर पर भी सहारा देते हैं।

अपने ट्रांसफर की खबर को सुनकर सुरेंद्र सिंह ने भी जिलाधिकारी के पास गुहार लगाई। उन्होंने जिलाधिकारी से कहा कि वह उसे स्कूल में और कुछ समय तक अपनी सेवाएं देना चाहते हैं। इसलिए उन्हें थोड़ा और समय वहीं पर रहने दिया जाए।

सुरेंद्र सिंह ने बताया कि जब वे उस स्कूल में पढ़ाने के लिए आए थे तब केवल 10 छात्र ही स्कूल आया करते थे लेकिन धीरे-धीरे छात्रों की संख्या 40 तक पहुंच गई। उस समय उस स्कूल में केवल सुरेंद्र सिंह ही अकेले शिक्षक थे लेकिन अब समय बीतने के साथ-साथ स्कूल में सुरेंद्र सिंह के साथ और 2 साथी शिक्षक भी बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं।

इस शिक्षक के प्रतीक गांव वालों की इतनी आत्मीयता देखकर यह पता लगता है कि इस शिक्षक ने अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से निभाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *