इंडिया गेट नाम तो दूर की बात भारत के शायद हर एक वासी ने इसे जरूर देखा होगा। असलियत में ना सही कम से कम अपनी किताबों में यह फिल्मों में जरूर देखा होगा। इसको बनाया ही कुछ इस तरह गया है कि हर देखने वाले को यह बेहद पसंद आता है । दोस्तों वैसे तो इंडिया गेट को अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया था लेकिन इसके नीचे जो आज तक वह ज्योति जल रही है वह किसी अंग्रेज के लिए नहीं बल्कि हमारे प्यारे देश भारत के श:ही’द अमर जवानों के लिए जरूरी है।
आपको बता दें कि इंडिया गेट को सन 1921 में अंग्रेजों ने श:ही’द भारतीय जवानों के लिए बनवाया था जो विश्व यु’द्ध 1 में अंग्रेजों के लिए लड़ते हुए श’ही’द हुए थे। पर जो ज्योति इसके नीचे जलती है वह उस समय की नहीं है। वह सन 1971 में प्रतिष्ठित की गई थी जब पाकिस्तान को भारत ने हराया था। उस समय स्कोर अमर जवानों की याद में जलाया गया था। इसलिए इसका नाम ‘अमर जवान ज्योति’ रखा गया था।
दोस्तों अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं शायद आपको यह जानकर बहुत दुख हो सकता है। दरअसल कल यानी कि 21 जनवरी 2022 को इस महान अमर जवान ज्योति को बुझा दिया गया है।
ऐसा क्यों किया गया?
दरअसल अमर जवान ज्योति को अब भारतीय यु’द्ध मेमोरियल की ज्योति में मिला दिया गया है। इस मिलान के साथ अमर जवान ज्योति का 50 साल का इतिहास समाप्त हो गया। आइए हम आपको बताते हैं अमर जवान ज्योति से जुड़ी पांच बातें जो आपके लिए जानना बहुत अच्छा होगा।
किसी समय पर सिर्फ गाड़ियां चला करती थी राजपथ पर
आपको बता दें कि जिस जगह आज अमर जवान ज्योति जलती है वहां पर किसी समय सिर्फ गाड़ियां चला करती थी। अमर जवान ज्योति की स्थापना तो 1972 में की गई थी लेकिन उससे पहले इंडिया गेट के नीचे से सिर्फ गाड़ियां ही गुजरा करती थी।
हर बरस लगता था अमर जवान ज्योति पर मेला
दोस्तों 1971 में जब से अमर जवान ज्योति की स्थापना हुई थी तभी से हर साल 26 जनवरी को यहां पर बहुत ही भव्य आयोजन हुआ करता है। 1971 में जो हमारे जवान अमर हुए थे उनके सम्मान में उस समय अमर जवान ज्योति का प्रस्ताव रखा गया था। जिस के रिजल्ट में 26 जनवरी 1972 में ही अमर जवान ज्योति का उद्घाटन कर दिया गया था।
आखिर इतने सालों तक लगातार कैसे जलती थी ज्योति
अमर जवान ज्योति जिसमें कि फलक के चारों और बहुत ही सुंदर से कलश रखे गए थे हालांकि आपको यह भी बता दें कि इनमें से सिर्फ एक ही कलश की ज्योति पूरे साल चला करती थी। इस ज्योति को जलाने के लिए पहले तो LPG का इस्तेमाल किया जाता था। जी हां वही LPG जो आपके घर में सिलेंडर में आती हैं। लेकिन दोस्तों उसके बाद LPG से बदलाव करके PNG से इसे जलाए रखा जाता था क्योंकि यह सेव और सस्ता था।
हर ज्योति के लिए होता था अलग से बर्नर
अमर जवान ज्योति के लिए एक स्पेशल पाइप लाइन बिछाई गई थी जो लगभग आधा किलोमीटर के दायरे में बिछी हुई थी। हर ज्योति के लिए अलग बर्नर को सेट किया गया था। आपको बता दें कि जब इसे LPG से जलाया जाता था तो मात्र डेढ़ दिन में ही एक सिलेंडर खत्म हो जाया करता था। लेकिन बाद में PNG इस्तेमाल के इस्तेमाल के लिए डायरेक्ट पाइपलाइन ही बिछा दी गई थी।
हमेशा सुरक्षा के घेरे में रखा जाता था ज्योति को
आपको बता दें कि अमर जवान ज्योति को भी बहुत ही कड़ी सुरक्षा में रखा जाता था। ज्योति की सुरक्षा के लिए स्पेशल गार्ड 24 घंटे खड़े रहा करते थे। विजय दिवस पर भी बहुत भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था।