पेड़ हमारे लिए कितने जरूरी है. यह हर कोई जानता है लेकिन इसके बावजूद भी रोजाना पेड़ों की कटाई होती है. भले ही सरकार इसके लिए कदम उठाती है लेकिन यह कदम धरातल पर कहीं नजर नहीं आते हैं. और जैसे जैसे समय बीत रहा है. वैसे वैसे पेड़ों की संख्या भी काफी कम हो रही है.
लेकिन ऐसी स्थिति में एक ऐसा भी आदमी है जो रोजाना हजारों पेड़ लगाता है और अभी तक लाखों पेड़ों को कटने की वजह से बचा चुका है. इस व्यक्ति को भारत का “ग्रीन मैन” भी कहा जाता है. आज के इस पोस्ट में हम आपको गाजियाबाद के ग्रीन मैन विजयपाल बघेल की जिंदगी से रूबरू कराने वाले हैं.
विजयपाल बघेल के ग्रीन मैन बनने की कहानी :
हम गाजियाबाद के ग्रीन मैन के नाम से मशहूर विजयपाल बघेल के बारे में बात कर रहे हैं. विजयपाल गाजियाबाद के गांव चंद्रगड़ी के रहने वाले हैं और इनके ग्रीन मेन बनने की कहानी की शुरुआत इनके बचपन में ही हो गई थी, यह बताते हैं कि एक बार वह अपने दादाजी के साथ हाथरस जा रहे थे और रास्ते में हुए एक घटनाक्रम ने उनको भारत का ग्रीन मैन बना दिया.
उन्होंने बताया कि उस दौरान रास्ते में कुछ लोग पीपल का पेड़ काट रहे थे क्योंकि पीपल के पेड़ में से काटते वक्त दूध टाइप का कुछ निकलता है तो उसी दौरान इन्होंने अपने दादा जी से पूछा कि आखिर वह लोग इस पेड़ को क्यों काट रहे हैं और उसके अंदर से दूध क्यों निकल रहा है.
इस पर इनके दादा ने सादगी से जवाब देते हुए कहा था कि बेटा जब इंसान को चोट लगती है तो उसके खून निकलता है. इसी प्रकार जब पेड़ों को काटते हैं तो उनको भी तकलीफ होती है. बस उसी दौरान विजयपाल बघेल को यह बात खटक गई थी और उन्होंने सोच लिया था कि वह आगे चलकर पेड़ों को बचाने का काम करेंगे.
और जितना संभव हो सकेगा पेड़ों को कटने से बचाएंगे. बस यहीं से विजय पाल बघेल के ग्रीन मैन बनने की नींव पड़ी थी. बता दें, विजयपाल बघेल ने बहुत छोटी सी उम्र में ही खुद को पेड़ों के संरक्षण के प्रति सौंप दिया था. आलम यह है कि वर्तमान समय में यह सिर्फ हरे कपड़े ही पहनते हैं. जब भी इनको देखा जाता है तो उनका लिबाज हरे कलर का ही होता है.
पेड़ों को बचाने के लिए चलाया आंदोलन :
विजयपाल बघेल के ग्रीन मैन बनने की कहानी इतनी आसान नहीं है. उन्होंने शुरुआती दौर में लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के अभियान चलाए थे साल 1976 में विजयपाल बघेल ने एक छोटी सी मुहिम को शुरू किया था और अपने कुछ साथी लोगों के साथ पेड़ लगाना शुरू किया.
लेकिन साल 1993 आते-आते इनका यह मिशन एक आंदोलन में तब्दील हो गया था. और इसी दौरान पेड़ों को लेकर सरकार भी सजग हो गई थी. उसने एक इसके लिए नियम भी बनाया था. जिसके तहत उस दौर में हर घर के आदमी कहीं ना कहीं पेड़ लगाते थे वही बता दे,
वर्तमान समय में विजयपाल बघेल ग्लोबल ग्रीन पीस” के नाम से एक बेहतरीन मिशन चला रहे हैं. जिसके तहत ये घर घर जाकर पेड़ लगाने का काम करते हैं.
राष्ट्रपति से भी हो चुके हैं सम्मानित :
बता दें, विजयपाल बघेल राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं. विजयपाल बघेल को हरित ऋषि, हिमालय भूषण और जेपी ग्रीन मैन जैसे अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
और इसके साथ ही यहाँ इनके हरे एक कपड़े पहनने के पीछे कारण भी छिपा हुआ है. कहा जाता है कि अब्दुल कलाम ने ही इन्हें हर एक कपड़े पहनने की सलाह दी थी और उस समय से ही यह हरे कपड़े पहनते हैं.